चेक बुक हो पीली या लाल,दाम सिक्के हों या शोहरत-कह दो उनसे,जो ख़रीदने आए हों तुम्हें,हर भूखा आदमी बिकाऊ नहीं होता है!
Tuesday, October 20, 2015
मधयप्रदेश के बेतुल जिले के एनआरअरई ने आशाराम बाबू को गिरफ़्तार होने से पहले कई बार बचाया और साथ ही अपने निजी विमान में सैर कराई ! और तो और एनआरअरई का विमान उडाने का लाइसेन्स भी अपडेट नहीं था ! १० साल पुराने लाइसेंस को लेकर विमान एक बार सड़क पर उतरने का कारनामा भी ये महाशय कर चुके है!
संदीप सिंह की रिपोर्ट
Tuesday, January 29, 2013
संदीप सिंह
नई दिल्ली/ भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के विरोध के बावजूद अंतरराष्ट्रीय ओलिंपिक समिति (आईओसी) ने गुरुवार को साफ तौर पर स्पष्ट कर दिया कि १९८४ के भोपाल गैस कांड के लिए जिम्मेदार डाउ केमिकल्स लंदन ओलंपिक की प्रायोजक बनी रहेगी। साथ ही कहा कि इस कंपनी का भोपाल गैस कांड से कोई लेना-देना नहीं हैं। हालांकि आईओसी के इस फैसले पर विदेश मंत्रालय ने कड़ी आपत्ति जताई है। आईओसी का कहना है कि डाउ कैमीकल का २००० तक कार्बाइड में कोई मालिकाना हक नहीं था। उसका यह भी कहना है कि डाउ कैमीकल के साथ पिछले ३० साल से अधिक समय से रिश्ता है और हमने जब डाउ के साथ भागीदारी पर चर्चा की तो हम भोपाल गैस कांड से वाकिफ भी थे।
इससे पहले आईओए ने लंदन ओलंपिक खेलों के प्रायोजक के रूप में डाउ कैमीकल का शुरू से विरोध किया, क्योंकि यूनियन कार्बाइड का मालिकाना हक उसके पास है। यूनियन कार्बाइड भारत के सबसे दर्दनाक औद्योगिक हादसे के लिये जिम्मेदार है। आईओए न आईओसी और लंदन ओलंपिक खेलों की आयोजन समिति से डाउ को खेलों के प्रायोजक से हटाने का आग्रह किया था। आईओए के कार्यकारी विजय कुमार मल्होत्रा को भेजे गये पत्र में आईओसी प्रमुख जाक रोगे ने कहा है, कि आईओसी मानती है कि १९८४ में भोपाल कांड भारत और दुनिया के लिये भयावह था।
ओलंपिक आंदोलन पीडि़तों के परिवार पर गहरी संवेदना रखता है। इस पत्र पर मल्होत्रा ने कहा कि आईओए आईओसी के रवैये से संतुष्ट नहीं है। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि आईओसी को हमारी भावनाओं को समझकर डाउ को प्रायोजक से हटाना चाहिए। साथ ही कहा कि केंद्र सरकार को इस मसले पर अपना रवैया साफ करना चाहिए। मल्होत्रा का कहना है कि हमें अभी सरकार से कोई जवाब नहीं मिला है जबकि आईओसी ने हमें जवाब दे दिया है। मल्होत्रा ने कहा कि जबकि डाउ कैमीकल की जानकारी और अनुमति से भारत में अपना काम कर रहा है तब प्रायोजन मसला उठने पर उसने आईओए के पाले में गेंद फेंक दी। उन्होंने कहा कि सरकार को इस मसले पर अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।
एथलीटों ने भी किया विरोध
डाउ केमिकल्स वही कंपनी है जिसने भोपाल गैस त्रासदी के लिए जिम्मेदार यूनियन कार्बाइड को खरीदा है। भारतीय एथलीट भी विरोध कर रहे हैं। भारत के कई पैरालिंपियंस और पैरा एथलीट भी डाउ केमिकल्स को ओलंपिक में प्रायोजक बनाने का विरोध कर रही है। इन लोगों ने आईओए से मांग की थी कि डाउ केमिकल्स की लंदन ओलंपिक में भागीदारी को निरस्त किया जाए और इसके लिए भारत सरकार ओलंपिक आयोजन समिति पर दबाव बनाए।
डाउ केमिकल्स वही कंपनी है जिसने भोपाल गैस त्रासदी के लिए जिम्मेदार यूनियन कार्बाइड को खरीदा है। भारतीय एथलीट भी विरोध कर रहे हैं। भारत के कई पैरालिंपियंस और पैरा एथलीट भी डाउ केमिकल्स को ओलंपिक में प्रायोजक बनाने का विरोध कर रही है। इन लोगों ने आईओए से मांग की थी कि डाउ केमिकल्स की लंदन ओलंपिक में भागीदारी को निरस्त किया जाए और इसके लिए भारत सरकार ओलंपिक आयोजन समिति पर दबाव बनाए।
ऐसे हुआ खूनी खेल
यूनियन कार्बाइड भारत के सबसे दर्दनाक औद्योगिक हादसे के लिए जिम्मेदार रही है। १९८४ में भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड के प्लांट में जहरीली गैस के रिसाव से लगभग २० हजार लोगों की मौते हुई। बाद में यूनियन कार्बाइड को डाउ केमिकल्स ने खरीद लिया था। आईओसी का कहना है कि डाउ केमिकल्स को इसके लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।
यूनियन कार्बाइड भारत के सबसे दर्दनाक औद्योगिक हादसे के लिए जिम्मेदार रही है। १९८४ में भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड के प्लांट में जहरीली गैस के रिसाव से लगभग २० हजार लोगों की मौते हुई। बाद में यूनियन कार्बाइड को डाउ केमिकल्स ने खरीद लिया था। आईओसी का कहना है कि डाउ केमिकल्स को इसके लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।
भोपाल कांड से डाउ का कोई संबंध नहीं ?
आईओसी का कहना है कि डाउ का भोपाल गैस कांड के १६ साल बाद और भारतीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा ४७० मिलियन डॉलर के मुआवजे को मंजूरी देने के १२ साल बाद तक डाउ का यूनियन कार्बाइड में कोई मालिकाना हक नहीं बचा। इस बारे में मल्होत्रा का कहना है कि आईओए आईओसी के रवैये से संतुष्ट नहीं है। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि आईओसी को हमारी भावनाओं को समझकर डाउ को स्पन्सर्स से हटाना चाहिए। केंद्र सरकार को इस मसले पर अपना रवैया साफ करना चाहिए। डाउ केमिकल्स सरकार की जानकारी और अनुमति से भारत में अपना काम कर रहा है तब प्रायोजन मसला उठने पर उसने आईओए के पाले में गेंद क्यों फेंकी गई। उन्होंने कहा कि सरकार को इस मसले पर अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।
आईओसी का कहना है कि डाउ का भोपाल गैस कांड के १६ साल बाद और भारतीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा ४७० मिलियन डॉलर के मुआवजे को मंजूरी देने के १२ साल बाद तक डाउ का यूनियन कार्बाइड में कोई मालिकाना हक नहीं बचा। इस बारे में मल्होत्रा का कहना है कि आईओए आईओसी के रवैये से संतुष्ट नहीं है। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि आईओसी को हमारी भावनाओं को समझकर डाउ को स्पन्सर्स से हटाना चाहिए। केंद्र सरकार को इस मसले पर अपना रवैया साफ करना चाहिए। डाउ केमिकल्स सरकार की जानकारी और अनुमति से भारत में अपना काम कर रहा है तब प्रायोजन मसला उठने पर उसने आईओए के पाले में गेंद क्यों फेंकी गई। उन्होंने कहा कि सरकार को इस मसले पर अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।
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