Tuesday, July 26, 2011

क्रिकेट संघों में राजनेताओं का दखल

Sandeep Singh on Saturday, July 23, 2011 at 8:02pm
-बीसीसीआई में नेताओं का कब्जा,स्थानीय चुनाव में शिवसेना कूदी
३ जूलाई २०११
संदीप सिंह
भोपाल। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने हांगकांग में सम्पन्न अपने वार्षिक सम्मेलन में प्रस्ताव पारित करते हुए कहा कि सभी देश अपने क्रिकेट बोर्डों की राजनीतिक प्रभावों से मुक्त करने के लिए उचित कदम उठाये और आवश्यकता पड़े तो बोर्ड के संविधान में संशोधन करेंं। आईसीसी के इस दिशा निर्देश के लिए सदस्य देशों को दो साल का समय भी दिया गया है। इस प्रतिबंध में क्रिकेट जगत में फिर से नई बहस शुरू हो गई है। इस फरमान से दुनिया के किसी क्रिकेट बोर्ड के लिए परेशानी का विषय हो या न हो लेकिन भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) को खासी परेशानी होगी। जिसका कारण यह है कि बीसीसीआई के साथ देश के सभी प्रमुख क्रिकेट संगठन या दूसरे खेलों के संगठनों में नेताओं का हस्तक्षेप और दबदबा बना रहता है। आगामी १४ जुलाई से मुम्बई क्रिकेट संघ (एमसीए) के चुनाव होने वाले हैं। इस संघ पर पिछले करीब ५० साल से राजनेताओं का कब्जा बना हुआ है। जिसके चलते एमसीए चुनाव में यह क्रम आगे भी जारी रहने की संभावना है। देश के अधिकांश क्रिकेट संघों में हमेशा से नेताओं का ही कब्जा रहा है वहीं एमसीए मुंबई क्रिकेट संघ पर राजनेताओं ने पिछले करीब ५० साल से अपना दबदबा बनाए हुआ है। इसी तरह १५ जुलाई को होने वाले एमसीए चुनावों में यह क्रम आगे भी जारी रहने वाला है। हालांंंकि यह भी कहा जाता है कि एमसीए भारत को सबसे ज्यादा टेस्ट क्रिकेटर देने वाला संंघ हैंं। वहींं आईसीसी अध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री होने के साथ एमसीए के वर्तमान प्रमुख शरद पवार फिर अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ते नजर आएंगे। पवार ने चुनाव लडऩे का फैसला किया है। काफी सदस्य यह चाहते हैं कि वह अगले दो साल तक और इस पद पर बने रहें और उन्होंने उनकी इच्छा का सम्मान किया। पवार के खिलाफ भारत के पूर्व कप्तान और पूर्व मुख्य चयनकर्ता दिलीप वेंगसरकर ने और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख के चुनाव लडऩे की उम्मीद है। वहींं वेंगसरकर का कहना है कि मैं अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ूंगा। उन्होंने मैंने सबसे पहले दावेदारी की घोषणा की थी। वेंगसरकर और देशमुख दोनों फिलहाल एमसीए के उपाध्यक्ष हैं। चुनाव के दावेदारों की स्पष्ट तस्वीर नामांकन दाखिल होने के बाद उभरकर आयेगी। माधव मंत्री (१९८७ से १९९२ तक) का बतौर एमसीए प्रमुख कार्यकाल छोड़ दें तो सेशाराव वानखेड़े के १९६४ में यह पद संभालने के बाद से एमसीए की बागडोर हमेशा किसी नेता ने कुर्र्सी संभाली है। लेकिन अब पवार के खिलाफ वेंगसरकर चुनाव में हैं। अगर सूत्रों की माने तो पूर्व क्रिकेटर बलविंदर संधू और चंद्रकांत पंडित ने वेंगसरकर की दावेदारी का खुला समर्थन करेगें। शिवसेना ने वेंगसरकर खेमे के समर्थन की घोषणा की एमसीए चुनाव राजनीति का अखाड़ा बन गया है। शिवसेना ने मुंंबई क्रिकेट संघ (एमसीए) के चुनावों के लिए आज पूर्व भारतीय कप्तान दिलीप वेंगसरकर की अगुआई वाले गुट के समर्थन की घोषणा की। शिवसेना के कार्यकारी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने कहा, ‘‘क्रिकेट प्रशासन के राजनीतिकरण के कारण खिलाडिय़ों ने (प्रशासन से) दूरी बना ली है। क्या शरद पवार और विलासराव देशमुख जैसे राजनेताओं ने कभी अपने हाथ में बल्ला थामा है।‘‘शिवसेना के इस नेता ने कहा कि जब उनकी पार्टी ने पाकिस्तानी खिलाडिय़ों पर आपत्तिा जताई तो उसे हमेशा कहा गया कि क्रिकेट के खेल में राजनीति को मत लाओ। उन्होंने कहा कि तो फिर ये राजनेता क्रिकेट में क्या कर रहे हैं। ठाकरे ने कहा कि उनकी पार्टी का नजरिया है कि राजनीतिक हस्तक्षेप ने क्रिकेट को खत्म कर दिया है और पैसे की अहमियत बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि हमारा मानना है कि एमसीए चुनाव क्रिकेट को बचाने और राजनेताओं को एमसीए से बाहर फेंकने का अच्छा मौका है। शिवसेना के नेता उद्धव ने कहा कि राजनेता के लिए खेल को पसंद करना गलत नहीं है लेकिन क्रिकेट बोर्ड का कार्यभार संभालना बिलकुल अलग मुद्दा है। एमसीए अध्यक्ष पद के उम्मीदवार वेंगसरकर को १५ जुलाई को होने वाले चुनाव में निवर्तमान अध्यक्ष और एनसीपी प्रमुख शरद पवार के अलावा केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री विलासराव देशमुख केेेेेेेी चुनौती का सामना करना है।

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